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Nutrients Meaning in Hindi : Healthy Nutrition, पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट्स)

Here, we are going to explain the nutrients meaning in Hindi language. You would be enjoy the article. So, keep learning with patience. It would be helpful to every common countryman of India.

पोषक तत्व (Nutrients meaning in Hindi) क्या है ?

भोजन से प्राप्त होने वाले वो रसायनिक पदार्थ (केमिकल सब्सटेंस), जो किसी भी जीव के शरीर के विकास, मरम्मत, रखरखाव और प्रजनन(रिप्रोडक्शन) प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होते हैं, उन्हें पोषक तत्व कहा जाता है।

पोषक तत्व शरीर को पोषण प्रदान करते हैं और शरीर के विकास और रखरखाव के लिए अति आवश्यक है। पोषक तत्वों के हमारे शरीर में विशिष्ट कार्य हैं और उनके कार्य के अनुसार ही उनकी भिन्न-भिन्न मात्राएं हमारे शरीर को चाहिए होती है।

कृपया ध्यान में रखें कि पोषक तत्व(न्यूट्रिएंट्स) हमारे शरीर के पोषण का स्रोत हैं, जैसे भोजन, जो जीव द्वारा ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। जबकि पोषण विज्ञान(न्यूट्रीशन) एक जैविक क्रिया है, जिसके अंतर्गत भोजन का पाचन करके अवशेष पदार्थो को शरीर से निष्कासित किया जाता है।

अलग-अलग प्रकार के जीवों की, आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतें अलग-अलग होती हैं।

बड़े पैमाने पर देखा जाए तो पोषक तत्वों को दो वर्गों में बांटा गया है।

पहला, जैविक या अकार्बनिक (ऑर्गेनिक)

दूसरा, अजैविक या अकार्बनिक (इनऑर्गेनिक)

जैविक(ऑर्गेनिक) पोषक तत्वों में ऐसे योगिक(कंपाउंड्स) सम्मिलित होते हैं जिनमें कार्बन शामिल होता है।

अजैविक(इनऑर्गेनिक) पोषक तत्वों में ऐसे योगिक(कंपाउंड्स) सम्मिलित होते हैं जिनमें कार्बन शामिल नहीं होता है।

जानवरों की तुलना में पेड़-पौधों के पोषक तत्वों की जरूरतें बदलती रहती हैं और अलग भी होती हैं, क्योंकि पेड़ पौधे बहुत से पोषक तत्वों को खुद ही निर्मित करते रहते हैं। पेड़ पौधों को लगभग 17 पोषक तत्वों(न्यूट्रिएंट्स) की जरूरत होती है जिनमें से 9 मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं (nitrogen (N), phosphorus(P), potassium(K), calcium(Ca), sulfur(S), magnesium(Mg), carbon (C), oxygen(O) and hydrogen(H)) और 8 माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं (iron (Fe), boron (B), chlorine (Cl), manganese (Mn), zinc (Zn), copper (Cu), molybdenum (Mo) and nickel (Ni)).


किसी भी जीव के पोषक तत्वों की आवश्यकता के आधार पर पोषक तत्वों को दो वर्गों में बांटा गया है

मैक्रोन्यूट्रिएंट्स(Macro-nutrients)

पहला, मैक्रोन्यूट्रिएंट्स: इस वर्ग के अंतर्गत वे पोषक तत्व आते हैं, जो जीवों को अधिक मात्रा में चाहिए होते हैं (ग्राम्स या ओंस )

  • इसके अंतर्गत रासायनिक पदार्थ जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट और पानी आते हैं।
  • इसके अंतर्गत रासायनिक तत्व जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर और फास्फोरस आते हैं। यह 6 रासायनिक तत्व सभी जीवों के लिए मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं।
  • माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जीवो को विकास और रखरखाव के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं
  • जीवों के शारीरिक निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • कार्बोहाइड्रेट ऐसे पदार्थ हैं जो अलग-अलग प्रकार के शुगर से मिलकर बनते हैं। कार्बोहाइड्रेट को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है पहला, मोनोसैकेराइड्स दूसरा,डाईसैकेराइड्स तीसरा, ओलिगोसैकेराइड्स और चौथा पॉलिसैकेराइड्स।
  • प्रोटीन जैविक पदार्थ हैं, जो अमीनो एसिड्स से मिलकर बने हुए होते हैं और अलग-अलग प्रकार के अमीनो एसिड्स आपस में पेप्टाइड बॉन्ड से जुड़े हुए होते हैं। प्रोटीन भोजन के रूप में लिया जाता है और शरीर में पाचन क्रिया के दौरान प्रोटीएज नामक एंजाइम की सहायता से दोबारा अमीनो एसिड्स में तोड़ा जाता है ताकि अमीनो एसिड्स की अलग-अलग संरचनायें शरीर के विभिन्न हिस्सों में कार्य अनुसार प्रतिक्रिया में सहायक बने।
  • फैट्स या वसा, ग्लिसरीन और फैटी एसिड का मिलाजुला योगिक है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड, एचडीएल, एलडीएल, वीएलडीएल आदि का भी योगदान रहता है।
    • ऊर्जा प्राप्ति: फैट्स (9 किलो कैलोरी पर ग्राम), प्रोटीन (4 किलो कैलोरी पर ग्राम), कार्बोहाइड्रेट्स (4 किलो कैलोरी पर ग्राम)। शरीर के कार्यों को करने के लिए जिस ऊर्जा की आवश्यकता शरीर को होती है वह ऊर्जा सबसे पहले कार्बोहाइड्रेट्स से, फिर फैक्ट्स से और अंत में प्रोटीन से ली जाता है।

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स(Micro-nutrients)

दूसरा, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स: इस वर्ग के अंतर्गत वे पोषक तत्व आते हैं, जो जीवों द्वारा मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की तुलना में कम मात्रा में चाहिए होते हैं (मिलीग्राम या माइक्रोग्राम )

  • इस वर्ग में विटामिन और मिनरल सम्मिलित हैं।
  • कोशिकाओं के जैव-रासायनिक और शारीरिक कार्यों के लिए अनिवार्य हैं।
  • शरीर को बैक्टीरिया, वायरस आदि से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • मिनरल्स एसे तत्व हैं, जो चयापचय(मेटाबोलिक) क्रियाओं के लिए अति आवश्यक होते हैं।
  • विटामिंस एसे जैविक पदार्थ हैं, जो हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक हैं और भिन्न भिन्न प्रकार के प्रोटींस के लिए को-फैक्टर या को-एंजाइम की तरह काम करते हैं तथा मेटाबोलिक नियंत्रक और एंटीऑक्सीडेंट्स की भूमिका भी निभाते हैं।
  • विटामिन्स की कमी से बीमारी होती है। लेकिन मिनरल्स की कमी से मौत भी हो सकती है, क्योंकि हमारे अंग प्रणाली में, मिनरल्स के बहुत ही अहम् कार्य होते हैं, जैसे- आयरन की कमी से शरीर में हिमोग्लोबिन का कम होना, कैल्शियम की कमी से हार्ट अटैक होने की संभावना आदि।

आवश्यक पोषक तत्व(एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स)

ऐसे पोषक तत्व जो किसी जीव द्वारा उसकी शारीरिक और जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन उन पोषक तत्वों का जीव के शरीर में या तो अभाव होता है या फिर जीव के शरीर में बनते ही नहीं है। साधारण भाषा में हम यह कह सकते हैं कि जीव को उन पोषक तत्व को भोजन के रूप में बाहर से लेना होता है।

  • भोजन से ही लेना होता है।
  • मेटाबोलिक क्रियाओं के लिए अति आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
  • आवश्यक पोषक तत्वों की सूची: 9 अमीनो एसिड्स (phenylalanine, valine, threonine, tryptophan, methionine, leucine, isoleucine, lysine, and histidine), 2 फैटी एसिड्स (alpha-linolenic acid (an omega-3 fatty acid) and linoleic acid (an omega-6 fatty acid)), 13 विटामिंस (vitamins A, C, D, E(tocopherols and tocotrienols), K, thiamine (B1), riboflavin (B2), niacin (B3), pantothenic acid (B5), pyridoxine (B6), biotin (B7), folate (B9), and cobalamin (B12), 15 मिनरल्स (potassium, chloride, sodium, calcium, phosphorus, magnesium, iron, zinc, manganese, copper, iodine, chromium, molybdenum, selenium and cobalt (component of vitamin B12).
  • उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए, हमें इन पोषक तत्वों को अच्छे भोजन के साथ साथ खाद्य सप्लीमेंट्स के रूप में भी अलग से लेना होता है।

अनावश्यक या गैर जरूरी पोषक तत्व

ऐसे पोषक तत्व जो किसी भी जीव के शारीरिक और जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन उन्हें बाहर से लेने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि वे पोषक तत्व जीव के शरीर में स्वतः ही निर्मित होते रहते हैं एवं बाहरी स्रोत या शरीर में उनकी उचित मात्रा उपलब्ध होती है।

  • शरीर में खुद ही बनते रहते हैं।
  • खाद्य सप्लीमेंट्स के रूप में लेने की आवश्यकता नहीं है।

फाइटोन्यूट्रिएंट्स या प्लांट न्यूट्रिएंट्स

पेड़ पौधों से प्राप्त होने वाले मुख्य पोषक तत्वों को फाइटोन्यूट्रिएंट्स या प्लांट बेस्ड न्यूट्रिएंट्स कहा जाता है। ये पोषक तत्व पौधों से प्राप्त होने वाले रासायनिक तत्वों के रूप में जाने जाते हैं जिनमें पौधों से प्राप्त होने वाले पोषक और ग़ैर-पोषक तत्व दोनों ही सम्मिलित होते हैं। जैसे पॉलिफिनॉल्स, फ्लेवोनॉयड्स, रेसवेराट्रॉल और लिगनेंस आदि।

Phyto-nutrients are plant based compounds which are rich in antioxidants and are key ingredients to help neutralize free radical damages.

Combination of vitamins and minerals with phyto-nutrients induces high potential effect of nutrients for empowering immune system of an organism.
  • इनमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। हम देखते हैं कि पेड़ पौधों का जीवन लंबा और शानदार होता है।
  • ये पोषक तत्व पेड़-पौधों के रंग और छिलके से प्राप्त होते हैं।
  • अभी भी इन तत्वों की खोजबीन जारी है कि, ये जीवों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कितने समर्थ हैं।

“Nutrients are lifeline of our healthy and wealthy lifestyle” – healthjaagran

Nutrients meaning in English.

You might have learnt so much things about nutrients meaning in Hindi. This article would be helpful to you. So, please feel free to share your feelings with us to grow more in life. Normally, it is tough to find exact nutrients meaning in Hindi language. But, here you found lots of information about different types of nutrients in Hindi version.


Nutrition Meaning in Hindi – Amazing Facts on Nutrition in the World

Nutrition is an important pillar of optimal health. So, it is needed to maintain body nourishment with good nutrition. Here, we are going to learn basics of nutrition in Hindi language. Nutrition meaning in Hindi language would be quite easy to understand for every common countryman in India.

न्यूट्रीशन या पोषण (Nutrition Meaning in Hindi) क्या है ?

यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें हम शरीर के पोषण के बारे में जानते हैं।

पोषण विज्ञान के अंतर्गत हम यह जानते हैं कि भोजन से प्राप्त पोषक तत्व और अन्य तत्व, किस प्रकार हमारे शरीर की कोशिकाओं के रखरखाव, उनकी मरम्मत और विकास में सहायता करते हैं और साथ ही साथ कैसे हमारे अच्छे स्वास्थ्य या रोगी अवस्था से संबंध रखते हैं।

यह विज्ञान किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य या रोगी अवस्था मे होने के संबंध में, भोजन और पोषक तत्वों की क्रियायें, उनके परस्पर संबंध और संतुलन को दर्शाता है।

Antoine Lavoisier (फ्रेंच केमिस्ट) को “पोषण और रसायन विज्ञान ” का पितामह कहा जाता है। 1970 में उन्होंने उपापचय(मेटाबॉलिज्म) की संकल्पना की और बताया कि, कैसे भोजन, ऑक्सीजन की सहायता से, उस्मा(हीट) और पानी में बदलता है और उर्जा उत्पन्न करता है।

पोषण(न्यूट्रीशन) हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार निभाता है। इसका प्रभाव हमारे जीवन में जन्म से पहले और जन्म के बाद भी, दोनों ही अवस्था में रहता है लेकिन फिर भी हम हमेशा जागरूक नहीं होते हैं और जन्म से मृत्यु तक पोषण हमारे स्वास्थ्य को अनेकों प्रकार से प्रभावित करते रहता है।

पोषण विज्ञान में उन प्रक्रियाओं का भी व्याख्यान होता है जिनके द्वारा कोई भी जानवर, व्यक्ति या पेड़ पौधा, भोजन से अपना पोषक तत्व प्राप्त करता है।

पोषण(न्यूट्रिशन) की प्रक्रियाएं(Processes) निम्नलिखित हैं

  • इंजेस्शन(Ingestion):भोजन ग्रहण करना
  • डाइजेशन(Digestion): भोजन के बड़े टुकड़ों का पाचन क्रिया के द्वारा छोटे टुकड़ों में बटना
  • अब्जॉर्प्शन(Absorption): भोजन से मिले पोषक तत्वों का छोटी ऑत में अवशोषण
  • ट्रांसपोर्टेशन(Transportation): पोषक तत्वों का रक्त संचार में प्रवाहित होना
  • यूटिलाइजेशन(Utilization): कोशिकाओं द्वारा पोषक तत्वों का उपयोग करना
  • एक्सक्रिशन(Excretion): पोषक तत्वों का उपयोग करने के पश्चात कोशिकाओं द्वारा अनुप्रयोग में लाए जाने वाले बेकार उत्पादको का बाहर निकालना

अच्छा पोषण हमारी स्वस्थ जीवन शैली का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। शारीरिक गतिविधियां, सकारात्मक सोच और उचित आराम या नींद के साथ-साथ अच्छा पोषण ही हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में हमारी सहायता करता है। यह हमारे स्वस्थ वजन को पाने में और लंबी पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में भी बढ़ावा देता है।

किसी भी जीव के पोषण को प्रभावित करने वाले कारक(Factors) निम्नलिखित हैं

  • भोजन और खाने के तौर-तरीकों में सामाजिक बाध्यता
  • तौर-तरीकों में सांस्कृतिक बाध्यता
  • खाने के तौर-तरीकों में आर्थिक विवशता
  • आदतों का मनोवैज्ञानिक मुद्दा

अपने आप के प्रति अच्छा महसूस करना और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना, हमारी आत्म-छवि और हमारे आत्म-सम्मान के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमेशा स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने का प्रयास करें और वही करें जो हमारे शरीर के लिए सही है।

किसी भी जीव में पोषक तत्वों का अनुचित और अपर्याप्त मात्रा में होना, कुपोषण को बढ़ावा देता है।

कुपोषण (Malnutrition) क्या होता है ?

किसी भी जीव के द्वारा लिए जा रहे भोजन में पोषक तत्वों की कमी, पोषक तत्वों की अधिक मात्रा या फिर किसी भी प्रकार का असंतुलन होकर, उसके स्वास्थ्य में हानि होने की अवस्था को कुपोषण कहते है।

किसी भी जीव के शरीर में पोषक तत्वों की उचित मात्रा न होना कुपोषण कहलाता है।

कुपोषण के कारण, Causes

  • अच्छा आहार ना होना
  • पाचन तंत्र की स्थिति अच्छी ना होना
  • कोई बीमारी होना

कुपोषण के लक्षण, Symptoms

  • थकान
  • सिर चकराना
  • वजन कम होना
  • एकाग्रता शक्ति का कम होना आदि

कुपोषण का उपचार, सही समय पर, सही से न करने पर, शारीरिक और मानसिक विकलांगता हो सकती है।

कुपोषण को व्यापक रूप से दो समूहों में बांटा गया है

पहला अंडरन्यूट्रिशन

इस प्रकार का कुपोषण, पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है।

  • जिसके अंतर्गत उर्जा की कमी के आधार पर तीन निम्न प्रकार होते हैं – अंडर वेट under weight (उम्र के अनुसार कम वजन होना), स्टंटिंग stunting (उम्र की तुलना में कम ऊंचाई होना), और वेस्टिंग wasting (शरीर की ऊंचाई की तुलना में कम वजन होना)।
  • विटामिन और मिनरल की कमी एवं अधिक मात्रा के आधार पर कुपोषण होना, जिसमें एनीमिया, रिकेट्स, पेलेग्रा, नाइट ब्लाइंडनेस, स्कर्वी आदि प्रकार की बीमारियां होती है।

दूसरा ओवरन्यूट्रिशन

यह कुपोषण उर्जा की अत्यधिक मात्रा होने के कारण होता है। जिसमें निम्न प्रकार होते हैं- ओवरवेट, ओबेसिटी और आहार संबंधी नॉन कम्युनिकेबल बीमारियां जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर आदि।

कुपोषण हर देश के लोगों को प्रभावित करता है। इसलिए हमें जरूरत है कि हम खुद कुपोषण संबंधी जानकारी के लिए जागरूक रहें और साथ ही साथ लोगों को भी जागरूक करें। इसके अलावा हमेशा पौष्टिक आहार ही लें ताकि हमारे शरीर का पोषण पर्याप्त मात्रा में रहे।

“Eat right to do a fight against foreign particles ”

– healthjaagran

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