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Fats definition, types, benefits and meaning in HINDI
Fats are the macro-compounds which are made up of glycerol and fatty acids.Listen the audio for more details.
Fats, its types, features, RDA and benefits (HINDI): Health Jaagran
Normally, we think that fats are not good for our health. In fact, we have partial knowledge of the facts. Actually, there must be a balanced form of fats constituents in our body for having sound health. There is a lack of knowledge, so we need to understand basic things about the role of fats in our healthy life.
Prevention is always better than cure. So we need to be alert, be aware of health aspects and make a healthy balance in-between fatty acids so that to prevent yourself for enjoying a healthy lifestyle.
Here, we are going to explain the nutrients meaning in Hindi language. You would be enjoy the article. So, keep learning with patience. It would be helpful to every common countryman of India.
पोषक तत्व (Nutrients meaning in Hindi) क्या है ?
भोजन से प्राप्त होने वाले वो रसायनिक पदार्थ (केमिकल सब्सटेंस), जो किसी भी जीव के शरीर के विकास, मरम्मत, रखरखाव और प्रजनन(रिप्रोडक्शन) प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होते हैं, उन्हें पोषक तत्व कहा जाता है।
पोषक तत्व शरीर को पोषण प्रदान करते हैं और शरीर के विकास और रखरखाव के लिए अति आवश्यक है। पोषक तत्वों के हमारे शरीर में विशिष्ट कार्य हैं और उनके कार्य के अनुसार ही उनकी भिन्न-भिन्न मात्राएं हमारे शरीर को चाहिए होती है।
कृपया ध्यान में रखें कि पोषक तत्व(न्यूट्रिएंट्स) हमारे शरीर के पोषण का स्रोत हैं, जैसे भोजन, जो जीव द्वारा ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। जबकि पोषण विज्ञान(न्यूट्रीशन) एक जैविक क्रिया है, जिसके अंतर्गत भोजन का पाचन करके अवशेष पदार्थो को शरीर से निष्कासित किया जाता है।
अलग-अलग प्रकार के जीवों की, आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतें अलग-अलग होती हैं।
बड़े पैमाने पर देखा जाए तो पोषक तत्वों को दो वर्गों में बांटा गया है।
पहला,जैविक या अकार्बनिक (ऑर्गेनिक)
दूसरा,अजैविक या अकार्बनिक (इनऑर्गेनिक)
जैविक(ऑर्गेनिक) पोषक तत्वों में ऐसे योगिक(कंपाउंड्स) सम्मिलित होते हैं जिनमें कार्बन शामिल होता है।
अजैविक(इनऑर्गेनिक) पोषक तत्वों में ऐसे योगिक(कंपाउंड्स) सम्मिलित होते हैं जिनमें कार्बन शामिल नहीं होता है।
जानवरों की तुलना में पेड़-पौधों के पोषक तत्वों की जरूरतें बदलती रहती हैं और अलग भी होती हैं, क्योंकि पेड़ पौधे बहुत से पोषक तत्वों को खुद ही निर्मित करते रहते हैं। पेड़ पौधों को लगभग 17 पोषक तत्वों(न्यूट्रिएंट्स) की जरूरत होती है जिनमें से 9 मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं (nitrogen (N), phosphorus(P), potassium(K), calcium(Ca), sulfur(S), magnesium(Mg), carbon (C), oxygen(O) and hydrogen(H)) और 8 माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं (iron (Fe), boron (B), chlorine (Cl), manganese (Mn), zinc (Zn), copper (Cu), molybdenum (Mo) and nickel (Ni)).
किसी भी जीव के पोषकतत्वों की आवश्यकता के आधार पर पोषक तत्वों को दो वर्गों में बांटा गया है
मैक्रोन्यूट्रिएंट्स(Macro-nutrients)
पहला,मैक्रोन्यूट्रिएंट्स: इस वर्ग के अंतर्गत वे पोषक तत्व आते हैं, जो जीवों को अधिक मात्रा में चाहिए होते हैं (ग्राम्स या ओंस )।
इसके अंतर्गत रासायनिक पदार्थ जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट और पानी आते हैं।
इसके अंतर्गत रासायनिक तत्व जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर और फास्फोरस आते हैं। यह 6 रासायनिक तत्व सभी जीवों के लिए मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जीवो को विकास और रखरखाव के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
जीवों के शारीरिक निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
कार्बोहाइड्रेट ऐसे पदार्थ हैं जो अलग-अलग प्रकार के शुगर से मिलकर बनते हैं। कार्बोहाइड्रेट को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है पहला, मोनोसैकेराइड्स दूसरा,डाईसैकेराइड्स तीसरा, ओलिगोसैकेराइड्स और चौथा पॉलिसैकेराइड्स।
प्रोटीन जैविक पदार्थ हैं, जो अमीनो एसिड्स से मिलकर बने हुए होते हैं और अलग-अलग प्रकार के अमीनो एसिड्स आपस में पेप्टाइड बॉन्ड से जुड़े हुए होते हैं। प्रोटीन भोजन के रूप में लिया जाता है और शरीर में पाचन क्रिया के दौरान प्रोटीएज नामक एंजाइम की सहायता से दोबारा अमीनो एसिड्स में तोड़ा जाता है ताकि अमीनो एसिड्स की अलग-अलग संरचनायें शरीर के विभिन्न हिस्सों में कार्य अनुसार प्रतिक्रिया में सहायक बने।
फैट्स या वसा, ग्लिसरीन और फैटी एसिड का मिलाजुला योगिक है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड, एचडीएल, एलडीएल, वीएलडीएल आदि का भी योगदान रहता है।
ऊर्जा प्राप्ति: फैट्स (9 किलो कैलोरी पर ग्राम), प्रोटीन (4 किलो कैलोरी पर ग्राम), कार्बोहाइड्रेट्स (4 किलो कैलोरी पर ग्राम)। शरीर के कार्यों को करने के लिए जिस ऊर्जा की आवश्यकता शरीर को होती है वह ऊर्जा सबसे पहले कार्बोहाइड्रेट्स से, फिर फैक्ट्स से और अंत में प्रोटीन से ली जाता है।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स(Micro-nutrients)
दूसरा,माइक्रोन्यूट्रिएंट्स: इस वर्ग के अंतर्गत वे पोषक तत्व आते हैं, जो जीवों द्वारा मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की तुलना में कम मात्रा में चाहिए होते हैं (मिलीग्राम या माइक्रोग्राम )।
इस वर्ग में विटामिन और मिनरल सम्मिलित हैं।
कोशिकाओं के जैव-रासायनिक और शारीरिक कार्यों के लिए अनिवार्य हैं।
शरीर को बैक्टीरिया, वायरस आदि से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
मिनरल्स एसे तत्व हैं, जो चयापचय(मेटाबोलिक) क्रियाओं के लिए अति आवश्यक होते हैं।
विटामिंस एसे जैविक पदार्थ हैं, जो हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक हैं और भिन्न भिन्न प्रकार के प्रोटींस के लिए को-फैक्टर या को-एंजाइम की तरह काम करते हैं तथा मेटाबोलिक नियंत्रक और एंटीऑक्सीडेंट्स की भूमिका भी निभाते हैं।
विटामिन्स की कमी से बीमारी होती है। लेकिन मिनरल्स की कमी से मौत भी हो सकती है, क्योंकि हमारे अंग प्रणाली में, मिनरल्स के बहुत ही अहम् कार्य होते हैं, जैसे- आयरन की कमी से शरीर में हिमोग्लोबिन का कम होना, कैल्शियम की कमी से हार्ट अटैक होने की संभावना आदि।
आवश्यक पोषक तत्व(एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स)
ऐसे पोषक तत्व जो किसी जीव द्वारा उसकी शारीरिक और जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन उन पोषक तत्वों का जीव के शरीर में या तो अभाव होता है या फिर जीव के शरीर में बनते ही नहीं है। साधारण भाषा में हम यह कह सकते हैं कि जीव को उनपोषक तत्व को भोजन के रूप में बाहर से लेना होता है।
भोजन से ही लेना होता है।
मेटाबोलिक क्रियाओं के लिए अति आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
आवश्यक पोषक तत्वों की सूची:9 अमीनो एसिड्स (phenylalanine, valine, threonine, tryptophan, methionine, leucine, isoleucine, lysine, and histidine), 2 फैटी एसिड्स (alpha-linolenic acid (an omega-3 fatty acid) and linoleic acid (an omega-6 fatty acid)), 13 विटामिंस (vitamins A, C, D, E(tocopherols and tocotrienols), K, thiamine (B1), riboflavin (B2), niacin (B3), pantothenic acid (B5), pyridoxine (B6), biotin (B7), folate (B9), and cobalamin (B12), 15 मिनरल्स (potassium, chloride, sodium, calcium, phosphorus, magnesium, iron, zinc, manganese, copper, iodine, chromium, molybdenum, selenium and cobalt (component of vitamin B12).
उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए, हमें इन पोषक तत्वों को अच्छे भोजन के साथ साथ खाद्य सप्लीमेंट्स के रूप में भी अलग से लेना होता है।
अनावश्यक या गैर जरूरी पोषक तत्व
ऐसे पोषक तत्व जो किसी भी जीव के शारीरिक और जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन उन्हें बाहर से लेने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि वे पोषक तत्व जीव के शरीर में स्वतः ही निर्मित होते रहते हैं एवं बाहरी स्रोत या शरीर में उनकी उचित मात्रा उपलब्ध होती है।
शरीर में खुद ही बनते रहते हैं।
खाद्य सप्लीमेंट्स के रूप में लेने की आवश्यकता नहीं है।
फाइटोन्यूट्रिएंट्स या प्लांट न्यूट्रिएंट्स
पेड़ पौधों से प्राप्त होने वाले मुख्य पोषक तत्वों को फाइटोन्यूट्रिएंट्स या प्लांट बेस्ड न्यूट्रिएंट्स कहा जाता है। ये पोषक तत्व पौधों से प्राप्त होने वाले रासायनिक तत्वों के रूप में जाने जाते हैं जिनमें पौधों से प्राप्त होने वाले पोषक और ग़ैर-पोषक तत्व दोनों ही सम्मिलित होते हैं। जैसे पॉलिफिनॉल्स, फ्लेवोनॉयड्स, रेसवेराट्रॉल और लिगनेंस आदि।
Phyto-nutrients are plant based compounds which are rich in antioxidants and are key ingredients to help neutralize free radical damages.
Combination of vitamins and minerals with phyto-nutrients induces high potential effect of nutrients for empowering immune system of an organism.
इनमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। हम देखते हैं कि पेड़ पौधों का जीवन लंबा और शानदार होता है।
ये पोषक तत्व पेड़-पौधों के रंग और छिलके से प्राप्त होते हैं।
अभी भी इन तत्वों की खोजबीन जारी है कि, ये जीवों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कितने समर्थ हैं।
“Nutrients are lifeline of our healthy and wealthy lifestyle” – healthjaagran
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