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Diabetes Is Caused by Bad Lifestyle of People in the World: डायबिटीज

Diabetes is in the list of top 10 most common diseases in the world. Diabetes is caused by bad lifestyle of people. It is not a pandemic rather it is a lifestyle disease. Here, the complete cruspy information is being provided in hindi language.

डायबिटीज, जिसे हम हाई ब्लड शुगर के नाम से जानते हैं। इंडियन संदर्भ में अगर बात करें तो, पिछली सदी से भारत में इसे मधुमेह या हनी यूरिन के नाम से जाना जाता है।

डायबिटीज क्या है ?

#What is Diabetes in Hindi

डायबिटीज, एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर या फिर कहें चयापचय विकार है। मतलब एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग है, जिसका संबंध डाइजेस्टिव सिस्टम (पाचन तंत्र) से है। इसमें ब्लड शुगर बढ़ जाता है या फिर कहें ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डायबिटीज दुनिया के शीर्ष 10 रोगों में से एक है जिसकी वजह से सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है। दुनिया भर में लगभग 500 मिलियन लोग इससे ग्रसित हैं। 1980 में यह आंकड़ा लगभग 100 मिलियन का था। आज इन 35-40 सालों में यह 5 गुना हो गया है। दुनिया भर में लगभग 5 मिलियन लोगों की मौत हर साल डायबिटीज से होती है। दुनियाभर में अगर बात करें तो चाइना के बाद, भारत दूसरे नंबर का देश है। जिसमें सबसे ज्यादा डायबिटिक रोगी हैं।

डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, डायबिटीज में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इसका कारण या तो पहला वंशानुगत (हैरीडेट्री जींस) या फिर दूसरा पोषण की कमी हो सकती है।

वास्तव में होता क्या है ?

#Process Of Glucose Formation

हमारा शरीर तीन प्रकार से ग्लूकोज प्राप्त करता है।

पहला तरीका है,

इंटेस्टाइनल अब्जॉर्प्शन आफ फूड (आंतों में भोजन से ग्लूकोज का शोषण)

जब हम खाना खाते हैं तो हमारे आमाशय (स्टोमक) में खाना पचता है। छोटी आंत, लीवर, पेनक्रियाज, गॉलब्लैडर से होते हुए बड़ी आंत से एनस के रास्ते बाहर निकल जाता है। जब हमारा खाना पचता हुआ छोटी आंत तक पहुंचता है तो छोटी आंत के ल्यूमन भाग में स्थित माइक्रो विली (स्पिंडल लाइक स्ट्रक्चर) इस पचे हुए खाने से पोषक तत्वों व ग्लूकोज को छोटी आंत के दूसरे हिस्से मे यानी रक्त (ब्लड) में स्थानांतरित करते हैं। फिर सभी पोषक तत्व व ग्लूकोज रक्त के जरिए शरीर के सभी भागों तक पहुंचते हैं। यह पहला तरीका है जिससे हमारा शरीर ग्लूकोज प्राप्त करता है।

दूसरा तरीका है,

ब्रेकडाउन ऑफ ग्लाइकोजन के द्वारा

ग्लाइकोजन क्या होता है? (#What is Glycogen) यह ग्लूकोज का संग्रहित (स्टोरेज) फॉर्म है। शरीर में जब खाने से लिये गए ग्लूकोज की मात्रा अत्यधिक हो जाती है तो इंसुलिन हार्मोन ग्लूकोज की इस अत्यधिक मात्रा को ग्लाइकोजन में बदल कर मसल्स और लीवर की कोशिकाओं में संरक्षित रखता है। ताकि शरीर को जरूरत पड़ने पर इस संरक्षित किए गए ग्लूकोज, जिसे हम ग्लाइकोजन के नाम से जानते हैं। इसे प्रयोग में लाया जा सके। ग्लूकागोन हार्मोन की सहायता से ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित किया जाता है। यह दूसरा तरीका है जिससे हमारे शरीर को ग्लूकोज मिलता है।

तीसरा तरीका है,

ग्लूकोज जनरेशन फ्रोम नॉन कार्बोहाइड्रेट सब्सट्रेट इन द बॉडी

मतलब जो प्रोटीन और वशा (फैट्स) हमारी बॉडी में होते हैं, उनके द्वारा भी हमें ग्लूकोज मिलता है। अगर कार्बोहाइड्रेट हमारी बॉडी में कम है, तो प्रोटीन और फैट्स से भी हमें ग्लूकोज प्राप्त होता है। जिस भी प्रकार से हमें ग्लूकोज मिलता है, उसकी मात्रा को संतुलित (बैलेंस) करने का काम होता है इंसुलिन हार्मोन का, जो की पेनक्रियाज के अंदर बीटा कोशिकाओं के द्वारा बनाया जाता है। इंसुलिन हार्मोन ग्लाइकोजन ब्रेकडाउन की प्रक्रिया और ग्लूकोज जनरेशन की प्रक्रिया को रोक सकता है (जो नॉन कार्बोहाइड्रेट सब्सट्रेट से होते हैं) और ग्लूकोज को ग्लाइकोजन के रूप में मसल्स कोशिकाओं व लीवर कोशिकाओं में संग्रह कर सकता है।

मेटाबोलिक एक्टिविटी

#Metabolic Activity

पूरी मेटाबोलिक एक्टिविटी की बात करें तो जैसे ही हम खाना खाते हैं ।पेनक्रियाज, इंसुलिन हार्मोन को उत्पन्न करता है और इंसुलिन उस खाने को ग्लाइकोजन के रूप में लीवर और मसल्स कोशिकाओं में संग्रहित करता है ताकि शारीरिक जरूरत पड़ने पर ग्लाइकोजन को ग्लूकागोन हार्मोन की सहायता से ग्लूकोज में परिवर्तित करके प्रयोग में लाया जा सके। इंसुलिन एक कैरियर की तरह काम करता है।

इंसुलिन, ग्लूकोज को क्रोमियम की सहायता से कोशिका के अंदर ले जाने में सहायक होता है। क्रोमियम, इंसुलिन रिसेप्टर्स के साथ काम करके इंसुलिन को कोशिकाओं के अंदर आने में मदद करता है। जिससे कि ग्लूकोज लीवर और मसल्स कोशिकाओं के अंदर ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित सके। इसके विपरीत ग्लूकागोन हार्मोन लीवर और मसल्स कोशिकाओं से संग्रहित ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदलकर ब्लड शुगर या कहें ग्लूकोज स्तर को सामान्य बनाए रखता है।

शरीर की कोशिकाओं के द्वारा ग्लूकोज का शोषण ना होने के मुख्य कारण क्या हैं ?

या

ब्लड शुगर बढ़ने के कारण क्या हैं ?

या

डायबिटीज होने के कारण क्या हैं ?

#Reasons Of Diabetes: Diabetes is caused by

पहला कारण है,

इंसुलिन की मात्रा कम होना

Diabetes is caused by insufficient amount of insulin.

इससे ग्लूकोज संग्रहण (स्टोरेज) कम होता है। वास्तव में, पेनक्रियाज कम इंसुलिन बनाने लगता है। टाइप वन डायबिटीज में यह पहला कारण ही होता है। शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम बनती है जिसके कारण ग्लूकोज, कोशिकाओं के अंदर नहीं जा पाता और ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

दूसरा कारण है,

शरीर की कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन हार्मोन को प्रतिक्रिया ना देना

Diabetes is caused by non response activity of body cells against insulin.

इस स्थिति में बॉडी सेल्स, इंसुलिन हार्मोन को प्रतिक्रिया (रिस्पांस) नहीं देते हैं। टाइप टू डायबिटीज में यही होता है। शरीर की कोशिकाओं में स्थित इंसुलिन रिसेप्टर्स, इंसुलिन को कोशिकाओं के भीतर प्रवेश नहीं होने देते हैं जिस वजह से कोशिकाओं में ग्लूकोज या ग्लाइकोजन संग्रहण नहीं हो पाता है और ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

तीसरा कारण है,

पोषक तत्वों की कमी के कारण इंसुलिन हार्मोन की कार्य क्षमता कम होना

Diabetes is caused by decrease in work potential of insulin hormone due to deficiency of nutrients

पोषण की कमी के कारण शरीर में इंसुलिन का दोषपूर्ण (डीफेक्टिवेनेस) होना, जिसके कारण इंसुलिन रिसेप्टर निष्क्रिय (इन एक्टिव) रहते हैं और वह इंसुलिन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं, जिसकी वजह से ग्लूकोज, कोशिका (सेल) के अंदर नहीं जा पाता है।

अब बात करते हैं डायबिटीज के लक्षणों की,

डायबिटीज होने के लक्षण क्या हैं ?

#Symptoms Of Diabetes

1. डायबिटीज में आप देखोगे लोगों को अक्सर पेशाब (यूरिन) होने लगती है। जिस किसी को डायबिटीज होता है उसे जल्दी-जल्दी यूरिनेशन होता है।

2. मीठा खाने का बहुत मन करता है।

3. बहुत थकान होती है।

4. चिड़चिड़ापन होता है।

5. भूख बढ़ जाती है।

अगर हम डायबिटीज का समाधान या रोकथाम ना करें और उसको फिर आगे ले जाएं तो बहुत सारी जटिलताएं (कॉम्प्लिकेशंस) हमारे शरीर में आने लगती है और उन जटिलताओं की अगर बात करें, क्या होती हैं?

1. अंधापन होने लगता है। आंखों की नजर (विशन) कम होने लगती है।

2. अगर फिर भी ध्यान नहीं दिया तो किडनी भी फेल हो सकती है।

3. पैरों में अल्सर होने लगते हैं।

4. कोरोनरी रोग बढ़ जाते हैं।

5. नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।

6. मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए हमें ध्यान देना चाहिए कि डायबिटीज को कैसे नियंत्रित रखें।

डायबिटीज के प्रकार

#Types Of Diabetes

हम जानेंगे कि विभिन्न प्रकार के डायबिटीज कौन-कौन से होते हैं।

सबसे पहला होता है, टाइप वन डायबिटीज: #Type 1 Diabetes

टाइप वन डायबिटीज मुख्यतः फैमिली हिस्ट्री से जुड़ा हुआ है। हम यह कह सकते हैं कि वंशानुगत जींस की वजह से टाइप वन डायबिटीज होता है।

यह बच्चों में ज्यादा पाई जाती है और आप देखोगे यह होता क्यों है? सबसे पहला कारण जो डायबिटीज का था। इंसुलिन की कमी के कारण यह टाइप वन डायबिटीज होता है और इसे इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज भी बोल सकते हैं क्योंकि इंसुलिन की कमी से होता है।

दूसरा होता है, टाइप टू डायबिटीज: #Type 2 Diabetes

हम पहले भी जान चुके हैं कि टाइप टू डायबिटीज की अवस्था में बॉडी सेल्स, इंसुलिन को प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, जिसकी वजह से ग्लूकोज कोशिकाओं के अंदर नहीं जा पाता और ब्लड में ही उसका लेवल बढ़ता जाता है। आज के समय में 90% लोग टाइप टू डायबिटीज से ग्रस्त हैं क्योंकि यह मुख्यतः लाइफ़स्टाइल की वजह से होता है।

आज के समय में, लोगों में शारीरिक व्यायाम का अभाव या अनियमितता है। आप देखोगे स्ट्रेस लेवल बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हम आराम बहुत कम कर रहे हैं और हमारी न्यूट्रीशनल वैल्यू बहुत कम हो गई है। हमारी व्यस्त और आधुनिक जीवनशैली की वजह से यह टाइप टू डायबिटीज होती है और इसे हम इन्सुलिन रेजिस्टेंस या फिर इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज भी बोल सकते हैं।

तीसरा प्रकार होता है, जेस्टेशनल डायबिटीज: #Gestational Diabetes

जेस्टेशनल डायबिटीज मुख्यतः प्रेगनेंसी के दौरान प्रेगनेंट वूमेन को होती है। प्रेगनेंट वूमेन को हाई ब्लड शुगर हो जाना एक सामान्य सी बात है। इसके लगभग 2 से 10 प्रतिशत मामले सामने आते हैं जो लगभग ठीक हो जाते हैं। उचित देखरेख और दवाइयों के माध्यम से प्रेगनेंट वूमेन को जेस्टेशनल डायबिटीज से आसानी से बचाया जा सकता है।

इसके अलावा चौथा प्रीडायबिटीज, यह क्या है: #Prediabetes

यदि टाइप टू डायबिटीज बहुत लंबे समय तक चलता है तो उसे प्रीडायबिटीज बोला जाता है।

और

पांचवा होता है, टाइप थ्री डायबिटीज: #Type 3 Diabetes

टाइप थ्री डायबिटीज की अवस्था में इन्सुलिन रेजिस्टेंस, ब्रेन सेल्स के द्वारा किया जाता है। इस अवस्था में दिमागी कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन को स्वीकार नहीं करते हैं जिसकी वजह से ग्लूकोज और अन्य पोषक तत्व दिमाग की कोशिकाओं में नहीं जा पाते हैं और ब्लड में उनकी मात्राएं बढ़ जाती हैं।

टाइप वन और टाइप टू डायबिटीज में मुख्यतः क्या-क्या अंतर हैं ?

#Difference between type 1 and type 2 diabetes

टाइप वन डायबिटीज अचानक से होता है और टाइप टू डायबिटीज अक्सर धीरे-धीरे जीवन शैली के अनुसार होता है। टाइप वन डायबिटीज बच्चों में पाया जाता है और टाइप टू एडल्ट्स में होता है। टाइप वन डायबिटीज में पतले हो जाते हैं और टाइप टू मोटे लोगों में होता है।

डब्ल्यूएचओ, डायबिटीज डायग्नोस्टिक क्राइटेरिया क्या कहता है?

#Diabetes Diagnostic Criteria

आप अगर भूखे पेट अपना ग्लूकोस स्तर देखते हैं तो 110 mg/dl से कम होना चाहिए और अगर हम सामान्यतः खाना खा चुके हैं और उसके बाद देखते हैं तो वह 140 mg/dl से कम होना चाहिए। यह एक डायग्नोस्टिक क्राइटेरिया है जिससे हमें पता चल सकता है कि हमारा डायबिटीज लेवल क्या है? शुगर लेवल क्या है? या फिर, ग्लूकोज लेवल क्या है?

WHO Diabetes Diagnostic Criteria

मेडिकेशन और रोकथाम

#Medication and Prevention Of Diabetes

डायबिटीज से बचाव और रोकथाम करने के लिए हमें अपनी जीवनशैली और पोषण पर काम करना पड़ेगा।

जीवनशैली अच्छी रखने के लिए हमें सबसे पहले, नियमित व्यायाम (रेगुलर एक्सरसाइज) पर जोर देना चाहिए। रोजाना कम से कम आधे से एक घंटा समय व्यतीत करना चाहिए। डायबिटीज की बातें करें तो व्यायाम हमारे शरीर में इंसुलिन हार्मोन की तरह ही प्रभाव डालता है, इसलिए व्यायाम (एक्सरसाइज) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

दूसरा, सकारात्मक व्यवहार (पॉजिटिव एटीट्यूड) होना चाहिए। हमें मानसिक रूप से सकारात्मक (पॉजिटिव) होना चाहिए, जिसके लिए हमें अच्छी-अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए।

तीसरा, उचित आराम (एडेक्वेट रेस्ट) करना चाहिए। डॉक्टर भी कहते हैं कि 6-8 घंटे आराम करना चाहिए ताकि हमारे शरीर को शरीर की मरम्मत के लिए समय मिल सके।

चौथा, अच्छा पोषण होना चाहिए। फूड न्यूट्रिशन आज के समय पे बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हमारे शरीर की न्यूट्रिशनल पूर्णता के लिए हम क्या कर सकते हैं?

हम जान सकते हैं कि डायबिटीज के उपचार हेतु जो उपयोगी सप्लीमेंट्स हैं, वह क्या हैं?

  • ग्लूकोज हेल्थ,
  • विटामिन बी,
  • मल्टीविटामिन,
  • ओमेगा-3,
  • विटामिन सी,
  • कैल्शियम,
  • जींग सिंग,
  • प्रोटीन,
  • आयरन,
  • फॉलिक और
  • शुगर पाउडर

इन फूड सप्लीमेंट्स में भी अगर कहूं कि सबसे महत्वपूर्ण सप्लीमेंट्स क्या हैं?

#Supplements useful in diabetes
नेचुरल बी (विटामिन बी)

विटामिन बी, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट है और यह हमारे शरीर के सारे मेटाबॉलिक एक्टिविटीज पर काम करता है इसलिए डायबिटिक रोगी के लिए यह महत्वपूर्ण है।

फाइबर

फाइबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि फाइबर हमारे पाचन तंत्र (जी आई सिस्टम) पर काम करता है। यह पाचन तंत्र का सुधार करता है, क्योंकि हमारे खाने की गती को धीमा करता है और खाने से ग्लुकोज व अन्य पोषक तत्वों का शोषण करने में सहायता करता है। फाइबर से हमें क्रोमियम भी मिलता है, जो कि इंसुलिन के साथ मिलकर शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है।

मल्टीविटामिन

बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मल्टी विटामिन हमारे शरीर में उर्जा उत्पन्न करने में सहायक है और जैसा कि हम जानते हैं डायबिटीज में ऊर्जा की कमी होती है, जिससे हमें बहुत थकान लगती है इसलिए मल्टीविटामिन का उपयोग करके डायबिटीज रोगी को ऊर्जा मिलती है और शरीर के अन्य रासायनिक क्रियाओं में भी सहायता मिलती है।

ओमेगा – 3

हम जान चुके हैं कि डायबिटीज एक जीवन शैली से संबंधित रोग है। शरीर में मुख्यतः ओमेगा 6 और ओमेगा 3 के बीच का असंतुलन होने के कारण अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। इसलिए डायबिटीज में शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए ओमेगा-3 का सेवन बहुत ही फायदेमंद है।

जिंग सिंग

इसमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो इंसुलिन की तरह कार्य करते हैं इसलिए डायबिटीज में जिंग सिंग का उपयोग लाभदायक है।

प्रोटीन

डायबिटिक रोगी के शरीर का प्रोटीन टैंक बहुत ही तेजी से कम होता है और शरीर में प्रोटीन की कमी के कारण अन्य रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए डायबिटीज के रोगी को रोजाना प्रोटीन लेने की आवश्यकता होती है।

Nutrients Help In Diabetes

Video: Diabetes in hindi

Use of organic supplements always helps in improving our health & stay fit us for enjoying the golden moments of life.

– Health Jaagran

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