Nutrition is an important pillar of optimal health. So, it is needed to maintain body nourishment with good nutrition. Here, we are going to learn basics of nutrition in Hindi language. Nutrition meaning in Hindi language would be quite easy to understand for every common countryman in India.
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न्यूट्रीशन या पोषण (Nutrition Meaning in Hindi) क्या है ?
यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें हम शरीर के पोषण के बारे में जानते हैं।
पोषण विज्ञान के अंतर्गत हम यह जानते हैं कि भोजन से प्राप्त पोषक तत्व और अन्य तत्व, किस प्रकार हमारे शरीर की कोशिकाओं के रखरखाव, उनकी मरम्मत और विकास में सहायता करते हैं और साथ ही साथ कैसे हमारे अच्छे स्वास्थ्य या रोगी अवस्था से संबंध रखते हैं।
यह विज्ञान किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य या रोगी अवस्था मे होने के संबंध में, भोजन और पोषक तत्वों की क्रियायें, उनके परस्पर संबंध और संतुलन को दर्शाता है।
Antoine Lavoisier (फ्रेंच केमिस्ट) को “पोषण और रसायन विज्ञान ” का पितामह कहा जाता है। 1970 में उन्होंने उपापचय(मेटाबॉलिज्म) की संकल्पना की और बताया कि, कैसे भोजन, ऑक्सीजन की सहायता से, उस्मा(हीट) और पानी में बदलता है और उर्जा उत्पन्न करता है।
पोषण(न्यूट्रीशन) हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार निभाता है। इसका प्रभाव हमारे जीवन में जन्म से पहले और जन्म के बाद भी, दोनों ही अवस्था में रहता है लेकिन फिर भी हम हमेशा जागरूक नहीं होते हैं और जन्म से मृत्यु तक पोषण हमारे स्वास्थ्य को अनेकों प्रकार से प्रभावित करते रहता है।
पोषण विज्ञान में उन प्रक्रियाओं का भी व्याख्यान होता है जिनके द्वारा कोई भी जानवर, व्यक्ति या पेड़ पौधा, भोजन से अपना पोषक तत्व प्राप्त करता है।
पोषण(न्यूट्रिशन) की प्रक्रियाएं(Processes) निम्नलिखित हैं
- इंजेस्शन(Ingestion):भोजन ग्रहण करना
- डाइजेशन(Digestion): भोजन के बड़े टुकड़ों का पाचन क्रिया के द्वारा छोटे टुकड़ों में बटना
- अब्जॉर्प्शन(Absorption): भोजन से मिले पोषक तत्वों का छोटी ऑत में अवशोषण
- ट्रांसपोर्टेशन(Transportation): पोषक तत्वों का रक्त संचार में प्रवाहित होना
- यूटिलाइजेशन(Utilization): कोशिकाओं द्वारा पोषक तत्वों का उपयोग करना
- एक्सक्रिशन(Excretion): पोषक तत्वों का उपयोग करने के पश्चात कोशिकाओं द्वारा अनुप्रयोग में लाए जाने वाले बेकार उत्पादको का बाहर निकालना






अच्छा पोषण हमारी स्वस्थ जीवन शैली का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। शारीरिक गतिविधियां, सकारात्मक सोच और उचित आराम या नींद के साथ-साथ अच्छा पोषण ही हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में हमारी सहायता करता है। यह हमारे स्वस्थ वजन को पाने में और लंबी पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में भी बढ़ावा देता है।
किसी भी जीव के पोषण को प्रभावित करने वाले कारक(Factors) निम्नलिखित हैं
- भोजन और खाने के तौर-तरीकों में सामाजिक बाध्यता
- तौर-तरीकों में सांस्कृतिक बाध्यता
- खाने के तौर-तरीकों में आर्थिक विवशता
- आदतों का मनोवैज्ञानिक मुद्दा
अपने आप के प्रति अच्छा महसूस करना और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना, हमारी आत्म-छवि और हमारे आत्म-सम्मान के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमेशा स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने का प्रयास करें और वही करें जो हमारे शरीर के लिए सही है।
किसी भी जीव में पोषक तत्वों का अनुचित और अपर्याप्त मात्रा में होना, कुपोषण को बढ़ावा देता है।
कुपोषण (Malnutrition) क्या होता है ?
किसी भी जीव के द्वारा लिए जा रहे भोजन में पोषक तत्वों की कमी, पोषक तत्वों की अधिक मात्रा या फिर किसी भी प्रकार का असंतुलन होकर, उसके स्वास्थ्य में हानि होने की अवस्था को कुपोषण कहते है।
किसी भी जीव के शरीर में पोषक तत्वों की उचित मात्रा न होना कुपोषण कहलाता है।
कुपोषण के कारण, Causes
- अच्छा आहार ना होना
- पाचन तंत्र की स्थिति अच्छी ना होना
- कोई बीमारी होना
कुपोषण के लक्षण, Symptoms
- थकान
- सिर चकराना
- वजन कम होना
- एकाग्रता शक्ति का कम होना आदि
कुपोषण का उपचार, सही समय पर, सही से न करने पर, शारीरिक और मानसिक विकलांगता हो सकती है।
कुपोषण को व्यापक रूप से दो समूहों में बांटा गया है
पहला अंडरन्यूट्रिशन
इस प्रकार का कुपोषण, पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है।
- जिसके अंतर्गत उर्जा की कमी के आधार पर तीन निम्न प्रकार होते हैं – अंडर वेट under weight (उम्र के अनुसार कम वजन होना), स्टंटिंग stunting (उम्र की तुलना में कम ऊंचाई होना), और वेस्टिंग wasting (शरीर की ऊंचाई की तुलना में कम वजन होना)।
- विटामिन और मिनरल की कमी एवं अधिक मात्रा के आधार पर कुपोषण होना, जिसमें एनीमिया, रिकेट्स, पेलेग्रा, नाइट ब्लाइंडनेस, स्कर्वी आदि प्रकार की बीमारियां होती है।
दूसरा ओवरन्यूट्रिशन
यह कुपोषण उर्जा की अत्यधिक मात्रा होने के कारण होता है। जिसमें निम्न प्रकार होते हैं- ओवरवेट, ओबेसिटी और आहार संबंधी नॉन कम्युनिकेबल बीमारियां जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर आदि।
कुपोषण हर देश के लोगों को प्रभावित करता है। इसलिए हमें जरूरत है कि हम खुद कुपोषण संबंधी जानकारी के लिए जागरूक रहें और साथ ही साथ लोगों को भी जागरूक करें। इसके अलावा हमेशा पौष्टिक आहार ही लें ताकि हमारे शरीर का पोषण पर्याप्त मात्रा में रहे।
“Eat right to do a fight against foreign particles ”
– healthjaagran
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